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22- 08- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 20



हम्माद जो की सौ रहा था , तब ही उसके पास रखा फ़ोन बजता है ।

"उफ्फ कौन कम्बख्त सुबह सुबह फ़ोन कर रहा है  " हम्माद ने आँखे खोलते हुए कहा और अपना मोबाइल उठाने के लिए हाथ बढ़ाया।


फ़ोन हाथ में लेकर जैसे ही उसने उसने मोबाइल की डिस्प्लै पर आ रहे नाम को देखा  तो थोड़ा घबराया और थोड़ा खुश भी हुआ।


और अपनी आवाज़ सही करते हुए फ़ोन उठा कर कहता है  "हेलो गुड मॉर्निंग "

"गुड मॉर्निंग, आप हम्माद बात कर रहे है  " फ़ोन की दूसरी तरफ से आवाज़ आयी


"जी,,, जी,,, मैं हम्माद बात कर रहा हूँ " हम्माद ने कहा

"जी मैं  एडवरटाइजिंग एजेंसी से रमेश बात कर रहा हूँ, अपने कुछ तस्वीरे भेजी थी अपनी मॉडलिंग के लिए " फ़ोन पर मौजूद  रमेश नामी लड़के ने कहा

"जी जी आप मुंबई से बात कर रहे हो, मैने भेजी थी अपनी तस्वीरे  " हम्माद ने कहा


"आप के लिए क़ह खुश खबरी है, आप मुंबई आ सकते है  ऑडिशन के लिए  आपकी तस्वीरे तो हमें पसंद आयी और आपकी पर्सनालिटी भी बेहद अच्छी है , बस एक बार आपका ऑडिशन ले लिया जाए तो फिर आप को सेलेक्ट कर लिया जाएगा, मिस्टर हम्माद क्या आप मुंबई आ सकते है  " फ़ोन पर मौजूद लड़के ने कहा



"जी,,, जी,,, मुंबई।  हाँ,, हाँ क्यू नही आप मुझे बताये कब आना है  " हम्माद ने उत्सुकता से कहा

"आप  इस हफ्ते आकर अपना ऑडिशन दे दीजिये बाकी आपको मोबाइल पर बता दिया जाएगा आपके सिलेक्शन हुयी है या नही हमारे ऑफिस की टाइमिंग सुबह 10 से शाम 6 तक है  और रविवार को अवकाश होता है , इसलिए आप  सोमवार से लेकर शनिवार तक किसी भी दिन आ सकते है  " रमेश ने कहा 

"ठीक है  सर मैं जल्द से जल्द आने की कोशिश करता हूँ, सर आपका एड्रेस मिल जाता तो और अच्छा होता" हम्माद ने कहा

"बिलकुल बिलकुल आप XYZ casting agencies गूगल पर सर्च करना आपको हमारा पता मिल जाएगा और कुछ पूछना हो तो आप मुझे इस नंबर पर फ़ोन कर सकते है  अब मैं फ़ोन रख रहा हूँ उम्मीद करता हूँ आपका दिन अच्छे से गुज़रे " ये कह कर रमेश ने फ़ोन रख दिया


हम्माद का ये खबर सुन् कर तो मानो पैर ज़मीन पर ही नही पड़ रहे थे  वो बेहद खुश था  लेकिन तब ही उसे याद आया की आखिर मुंबई जाने के लिए कम से कम 10 से 15 हज़ार रूपये होना चाहिए ।

पहले उसने सोचा की अपने अम्मी अब्बू से मांग लेता है  लेकिन उसके अब्बू कभी भी उसे इतनी बड़ी रकम इस तरह के काम के लिए नही देंगे और अम्मी भी उसकी कोई मदद नही करेंगी  बिना उसके अब्बू की इज़ाज़त के बिना।


"क्यू ना बाइक बेच दू  " हम्माद ने सोचा 

"नही नही बाइक अगर बेच दी तो फिर  अब्बू दूसरी नही दिलाएंगे  "

कुछ सोच हम्माद आखिर इतने पैसो का इंतेज़ाम कैसे किया जाए, सोच हम्माद कुछ सोच हम्माद ने अपने आप से कहा।

और थोड़ी देर बाद मुस्कुराते हुए एक शातिर हसीं हस्ते हुए बोला " मिल गया  आईडिया आखिर कार एक तोते की जान मेरी मुट्ठी में है  उसी से पैसे निकालने का समय आ गया है , वही है बेवक़ूफ़ जो मेरे लिए कुछ भी कर सकती है , अब समय आ गया है  उससे फायदा लेने का "ये कह कर उसने अपना मोबाइल उठाया  और जोया को फ़ोन लगाया ।


ज़ोया क्लासरूम में थी इस वजह से उसने उसका फ़ोन काट दिया।

"उफ्फ ये लड़की भी ना, जब जब मुझे इसकी ज़रुरत होती है  तब तब ये मेरा फ़ोन नही उठाहती है  " हम्माद ने फ़ोन बिस्तर पर फेकते हुए कहा।

और थोड़ी देर बाद एक गहरी सास लेते हुए बोला " सब्र कर मेरे भाई, थोड़ा  हौसला रख  अभी वो खुद फ़ोन करेगी  और हाँ उससे किस तरह पैसे लेना है  उसकी तैयारी भी कर "

हम्माद बिस्तर से उठ कर नहाने चला गया  और तैयार हो कर कमरे से बाहर आया ।

"उठ गए नवाब साहब  " पीछे से उसकी अम्मी ने कहा

"अम्मी भूख लग रही है  मुझे कुछ खाने का दो प्लीज् खुदा के लिए  अब्बू की तरह बातें मत सुनाना " हम्माद ने कहा


"कैसे ना कहु, तेरे अब्बू भी कुछ गलत थोड़ी कहते है , तू जवान हो गया है  अब क्या इस तरह अवारा गर्दी में ही अपनी सारी जवानी बर्बाद कर देगा,. तेरी उम्र के लड़के अपना पूरा पूरा घर चला रहे है , शादी भी कर ली है उन्होंने और एक तू है  दिन के 12 बजे सौ कर उठ रहा है  नालायक कही का " हम्माद की अम्मी ने कहा

"उफ्फ अम्मी पहले कुछ खाने का देदो बाद में बातें सुनाना " हम्माद ने कहा

"तू एक दम चिकना घड़ा है  जिस पर किसी चीज का असर नही होता है , ये मेरी ही गलती है  मैने ही तुझे बचपन में अब्बू की डांट से बचाने के लिए तेरा साथ  दिया और आज उसका नतीजा तू मुझे इस तरह दे रहा है , खुदा के लिए सुधर जा अपनी हरकते सुधार यूं अवारा गर्दी मत कर हर चीज की उम्र होती है , अपने अब्बू का काम संभाल देख उनकी उम्र हो रही है, हमारे बाद सब कुछ तेरा ही है  तुझे ही संभालना है , अभी से सीखेगा तो सीख जाएगा ग्राहस्ती चलाना वरना बहुत पछतायेगा  " हम्माद की माँ ने कहा


"छोड़ो अम्मी मैं बाहर ही कुछ खा पी लूँगा , और हाँ बता  दू  मैं अब्बू की दुकान पर बैठने के लिए पैदा नही हुआ हूँ, देख लेना एक दिन आपका ये बेटा कितना नाम कमायेगा  आगे पीछे नौकर चाकर होंगे और मुझे कुछ करने की ज़रुरत नही होगी, अब मैं जा रहा हूँ आपकी बातों ने मेरी भूख मार दी आज अब्बू नही थे तो उनकी कमी आपने पूरी कर दी शुक्रिया " हम्माद ने कहा और वहा से चला गया 


"हम्माद, हम्माद रुक मेरी बात सुन् " हम्माद की माँ ने उसे आवाज़ देते हुए कहा किन्तु वो वहा से चला ।

हम्माद की माँ ने आसमान की तरफ देखा और कहा " या अल्लाह इसको सीधी राह पर चला मैं जानती हूँ इसको इस तरह बनाने में मेरा ही हाथ है  लेकिन क्या करती बेटे के मोह ने मुझे बांध रखा था  अगर बचपन में ही इसकी गलती  पर इसको डांटा होता तो ये आज इस तरह अवारा गर्दी में ना पड़ता  "


हम्माद गुस्से में आकर  चाय की टपरी पर आ जाता है  जहाँ उसके अवारा दोस्त बैठे थे। वो वही पर चाय पीता ज़ोया को फ़ोन लगाता लेकिन वो फिर काट देती।


थोड़ी देर बाद ज़ोया ने खुद फ़ोन किया और उसे बताया की वो क्लास रूम में थी ।

हम्माद वैसे तो उस पर बेहद गुस्सा था लेकिन अपने गुस्से को शांत करते हुए बोला " मैं आ रहा हूँ तुमको लेने और मेरे पास एक खुश खबरी है  जो मैं तुम्हे सुनाना चाहता हूँ सबसे पहले  "

ज़ोया उस खुशखबरी के बारे में उससे फ़ोन पर बेहद पूछती लेकिन वो नही बताता वो सीधा उसके कॉलेज की तरफ आ जाता और जोया को बैठा कर अपने साथ  एक पार्क में ले जाता।


"अब बता भी दो क्या खुशखबरी  है , कही तुम मेरा हाथ मांगने मेरे घर तो नही आ रहे हो बताओ ना " ज़ोया ने कहा

"पहले  इस शहजादी का हाथ मांगने के काबिल तो बन जाऊ, ताकि अपनी इस शहजादी को अपने महल नुमा घर में रख सकूँ " हम्माद ने कहा

"छोड़ो भी ये सब बातें मुझे कुछ नही चाहिए तुम्हारे साथ के अलावा, अब बता भी दो की क्या खुशखबरी  है " ज़ोया ने दोबारा पूछा 


"मेरी जान जोया, खुशखबरी ये है  की मेरी मेहनत रंग ले आयी , आज सुबह मुझे मुंबई से फ़ोन आया था , मैने तुम्हे बताया था ना की मैने एक दो जगह अपनी तस्वीरे भेजी थी , तो देखो आज सुबह ही मुझे उनका फ़ोन आ गया  उन्हें मेरी तस्वीरे पसंद आयी " हम्माद और कुछ कहता तब ही ज़ोया


ख़ुशी से उछलती और उसे सीने से लगा कर कहती  " मुझे पता था तुम्हारी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी एक दिन "

हम्माद यूं इस तरह ज़ोया को अपने सीने से लगा देख उसकी ख़ुशी मनाते थोड़ा हेरत में था ।

तभी अचानक ज़ोया को ध्यान आया की वो क्या कर रही थी , और वो पीछे हट गयी और बोली " ना जाने क्या हुआ था मुझे ये सुन् मैं कुछ ज्यादा ही खुश हो गयी थी  "


"नही नही ज़ोया मुझे अच्छा लगा की कोई तो है  जो मेरी ख़ुशी में खुश होता है  लेकिन " हम्माद कहते कहते रुक गया 


"लेकिन क्या हम्माद, रुक क्यू गए " ज़ोया ने पूछा


"अब कैसे कहु , की मेरी किस्मत की सुई ऐसी जगह आकर अटक जाती है  की मैं चाह कर भी कुछ नही कर सकता हूँ " हम्माद ने चेहरे के आव भाव बदलते हुए कहा

"क्या हुआ हम्माद मुझे भी नही बताओगे  अभी तक तो तुम बेहद खुश  नज़र आ रहे थे  फिर अचानक क्या हुआ तुमको " ज़ोया ने पूछा 


क्या बताऊ एक तरफ  तो ख़ुशी मिलती है  और वही  दूसरी तरफ कुछ ऐसा होता है  की पता नही चलता है  की ख़ुशी मनाऊ या फिर उदास रहू ।

"अब आज सुबह एजेंसी से फ़ोन आया जिसे सुन् मैं बेहद खुश  तो हो गया लेकिन वही दूसरी तरफ उन्होंने मुंबई आने का कहा " हम्माद और कुछ कहता तब ही ज़ोया बोल पड़ी

"क्या, तुम मुंबई जा रहे हो "


"नही ज़ोया तुम्हे छोड़ कर कैसे जा सकता हूँ, और अभी तो सिर्फ ऑडिशन देने जाना है " हम्माद ने कहा

"थैंक गॉड, मैं तो समझी हमेशा के लिए जा रहे हो मुझे छोड़ कर " जोया ने कहा

"भला अपनी जान को छोड़ कर कैसे जा सकता हूँ, एक दिन जाएंगे तू देखना  " हम्माद ने कहा


"तो फिर कब जा रही है  सवारी मुंबई की और " ज़ोया ने पूछा

हम्माद थोड़ा खामोश रहा।

"क्या हुआ हम्माद खामोश क्यू हो गए, कुछ गलत कहा क्या मैने " ज़ोया ने पूछा

"नही तुमने कुछ गलत नही कहा, बस ऐसे ही एक दुविधा है  जिंदगी भी कभी कभी एक अलग ही खेल खेलती है  पहले में इतने दिनों से फ़ोन आने का इंतज़ार कर रहा था और जब अब फ़ोन आ गया है  तो ना जाने क्यू परेशान हो रहा हूँ, नही पता जा पाउँगा भी या नही" हम्माद ने उदास मन से कहा


"कुछ तो बात है  जो तुम्हे अंदर ही अंदर परेशान कर रही है , बताओ मुझे  अपने प्यार को नही बताओगे " ज़ोया ने कहा


"ज़ोया बात कुछ इस तरह है , तू तो जानती ही है  की मेरे घर में मेरी अम्मी और अब्बू मेरे इस सपने को हकीकत बनता देखना नही चाहते , वो नही चाहते की मैं ये काम करू , लेकिन मेरा सपना है  की मेरी भी तस्वीर फ़िल्मी हीरो की तरह दीवारों और अखबारों में छपे।


मेरे अम्मी अब्बू मेरे इस सपने के खिलाफ है  वो मेरा साथ नही देंगे ऐसे में मेरे दोस्त और तू ही मेरा सहारा है  जो मेरी मदद कर सकते है " हम्माद कुछ और कहता तब ही ज़ोया उसका हाथ पकड़ कर बोली।


बस हम्माद अब कुछ मत बोलना मैं समझ गयी तुम क्यू परेशान हो, और तुम्हे क्या चाहिए , बताओ कितने पैसो की ज़रुरत है  तुम मुझसे कुछ नही छिपा सकते  हो


हम्माद इस तरह अपने दिल की बात उसके मुँह से सुन् थोड़ा हैरान हो गया , उसे थोड़ा बहुत एहसास हुआ की ज़ोया उससे इतना प्यार करती है  की उसके कहे बिना ही वो समझ गयी की उसे किया चाहिए ।

लेकिन उसका शातिर दिमाग़ उसके दिल पर हावी था, उसने मगरमच्छ के आंसू बहाते हुए  कहा " ज़ोया मुझे बहुत शर्म आ रही है  इस तरह तुझसे पैसे मांगते हुए  क्या करू मेरे पास कुछ पैसे थे वो मैने अपने एक दोस्त को दे दिए थे  उसकी माँ की तबीयत ठीक नही थी इसलिए।

और अब मैं अब्बू से भी पैसे नही मांग सकता वो मुझे नही देंगे, मेरे पास एक आख़री जरया मेरी बाइक है  उसे बेच कर मैं पैसे ले सकता हूँ लेकिन वो हमारी मोहब्बत की निशानी है  उसी बाइक के बहाने ही तो मैं तुम्हे ज्यादा कुछ नही उस पर बैठा कर आइसक्रीम खिलाने तो ले ही जाता हूँ "


"नही हम्माद तुम्हे ना तो बाइक बेचने की ज़रुरत है  और ना ही किसी के आगे हाथ फैलाने की ज़रुरत है , मैं हूँ ना, मैं तुम्हारी मदद करूंगी बताओ मुझे तुम्हे कितने पैसे की ज़रुरत है  " ज़ोया ने कहा


"ज़ोया मैं तेरी एक एक पायी उतार दूंगा, मुझे इस समय 10 हज़ार रूपये की ज़रुरत है  " हम्माद ने कहा

"कोई नही कल मिल जाएंगे, कल सुबह कॉलेज जाने से पहले मैं सुनार के यहाँ जाकर अपने ये कान के बुँदे बेच दूँगी वैसे भी बेहद पुराने हो गए है  " ज़ोया और कुछ कहती तब ही हम्माद बोला

"देखना ज़ोया एक दिन मैं तुझे हीरे के बुँदे लेकर दूंगा  "


"मुझे बस तुम्हारा प्यार और साथ चाहिए बाकी मुझे किसी चीज की ज़रुरत नही, और हाँ जल्दी आना मुंबई से मेरा मन नही लगेगा तुम्हारे बिना " ज़ोया ने कहा


"जल्दी आने की कोशिश करूंगा मेरा भी मन कहा लगना है  तेरे बिना, चल अब घर चलते है  काफी समय हो गया है  तेरा एक बार फिर शुक्रिया " हम्माद ने कहा

"अब बस भी करो , कितना शुक्रिया करोगे  मैं प्यार करती हूँ, अपने प्यार को मुसीबत में कैसे देख सकती हूँ चल अब घर चले काफी देर हो गयी  " ज़ोया ने कहा और वो चले गए 


क्या हम्माद ज़ोया के सच्चे प्यार को समझ पायेगा या नही जानने के लिए पढ़ते रहिये  हर सोमवार 

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3 Comments

Bhut pyaara 💐🙏

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शानदार

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Raziya bano

22-Aug-2022 10:45 AM

Bahut khub

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